कठोपनिषद् में वर्णित ॐकार का शिक्षापत्री के साथ तुलनात्मक अध्ययन

COMPARATIVE STUDY OF OMKARA DESCRIBED IN THE KATHOPANISHAD AND THE SHIKSHAPATRI

Authors

DOI:

https://doi.org/10.47413/vidya.v3i2.449

Keywords:

Omkar (ॐ), Katha Upanishad, Shikshapatri, Brahmavidya (ब्रह्मविद्या), Spiritual Philosophy

Abstract

पृष्ठभूमि: कठोपनिषद् कृष्णयजुर्वेद की कठ/काठक शाखा का प्रमुख उपनिषद है, जिसमें यम और नचिकेता के बीच का संवाद केन्द्रित है। यह उपनिषद आत्मा, परमात्मा, और ॐकार के गूढ़ रहस्यों की चर्चा करता है। उद्देश्य: कठोपनिषद् में ॐकार के महत्त्व को समझा कर उसके विभिन्न आयामों, जैसे कि ब्रह्म, जीवात्मा, और माया के संदर्भ में उसका शिक्षापत्री के साथ तुलनात्मक अध्ययन करना है। महत्त्व: ॐकार को न केवल सृष्टिकर्ता और पालनकर्ता ईश्वर माना गया है, बल्कि यह मोक्ष का द्वार भी माना गया है। शिक्षापत्री में ईश्वर को श्रीकृष्ण के रूप में दर्शाया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ईश्वर मोक्ष और परम सिद्धि का साधन है। परिणाम: इस अध्ययन में पाया गया कि कठोपनिषद में ॐकार की तीन ध्वनियों—अ, उ, और म—का विशद वर्णन किया गया है। अकार परमात्मा, उकार जीवात्मा, और मकार माया (प्रकृति) का प्रतीक है, जो मिलकर ब्रह्मांड की तीन अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों ग्रंथों में ॐकार और ईश्वर को ब्रह्म के सर्वोच्च स्वरूप के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, जो संपूर्ण सृष्टि और जीवात्मा का मार्गदर्शक है।

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Published

30-10-2024

How to Cite

Pandya, M., Dave, N., & Tripathi, S. (2024). कठोपनिषद् में वर्णित ॐकार का शिक्षापत्री के साथ तुलनात्मक अध्ययन: COMPARATIVE STUDY OF OMKARA DESCRIBED IN THE KATHOPANISHAD AND THE SHIKSHAPATRI. VIDYA - A JOURNAL OF GUJARAT UNIVERSITY, 3(2), 9–20. https://doi.org/10.47413/vidya.v3i2.449

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