गुजरात का गौरव : देवनी मोरी

Authors

  • Harpal Rana Gujarat University

DOI:

https://doi.org/10.47413/vidya.v2i1.136

Keywords:

धम्म, महाविहार, धातु अस्थियां, विहार, महास्तूप, स्तूप, शरीरस्तूप, प्रतीत्यसमुत्पाद, अविद्या, संस्कार, षडायतन, तृष्णा

Abstract

गुजरात की भूमि प्राचीन काल से ही धम्मभूमि रही है और महाकारूणिक बुद्ध के विचारों से आलोकित रही है I गुजरात के अधिकांश जिलों में आज भी हमें बौद्ध धम्म से जुड़े अनगिनत अवशेष देखने को मिल रहे हैं और अभी भी खुदाई में बौद्ध धम्म से जुड़े अवशेष बहुतायत में प्राप्त हो रहे हैं I गुजरात के प्रसिद्ध बौद्ध स्थलों में देवनी मोरी (शामलाजी), गिरिनगर (जूनागढ़), आनंदपुर (वड़नगर), तारंगा, भरूच, कच्छ, उना साणावाक्य, खाम्भलिडा आदि हैं I इनमें देवनी मोरी का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह धम्म नगरी थी और यहाँ से महाकारूणिक बुद्ध की श्रेष्ठ धातुएं (अस्थियां) प्राप्त हुई हैं I

देवनी मोरी उत्तर गुजरात में अरवल्ली जिले में तहसील भिलोड़ा में मेश्वो नदी के सामने तट पर स्थित है I यहां भोज राजा की टेकरी स्थित है जहां उत्खनन हुआ है और महाविहार, पश्चिमी क्षत्रप राजाओं के सिक्के, और बुद्ध की श्रेष्ठ धातुओं (अस्थियों) का  अलंकृत पात्र (Box) प्राप्त हुआ है I देवनी मोरी में पश्चिमी क्षत्रप राजाओं (ई.स. २३ – ई.स. ४००) के समय का महा विहार मिला है I यह स्थान राजस्थान के डुंगरपुर और गुजरात की सीमा पर स्थित है और यहाँ अरवल्ली पर्वतमाला के छोटे–मोटे पहाड़ हैं I यह स्थान अत्यंत    सुंदर और मनोहर है I ११ फरवरी १९६० को बड़ोदरा की महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग ने यह उत्खनन किया और यहाँ बौद्ध विहार मिला I उसके बाद स्तूप मिला और स्तूप के अंदर से महाकारूणिक बुद्ध की श्रेष्ठ धातुएं (अस्थियां) मिली हैं जो एक कास्केट (तांबा का बनाया हुआ) में रखी हुई हैं I वर्तमान में यह कास्केट बड़ोदरा के संग्रहालय में है I

References

मेहता, डा. आर.एन., एक्सकवेशन एट देवनी मोरी, डिपार्टमेंट ऑफ़ अर्क्योलोजी एंड ऐन्सियंट हिस्ट्री, फेकल्टी ऑफ़ आर्ट्स, एम.एस.यूनिवर्सिटी ऑफ़ वड़ोदरा, मार्च १९६६

हर्ष, डा. जयवर्धन, उत्तर गुजरात में बौद्धधर्म, मैत्री प्रकाशन, महावीर विद्यालय के सामने, इसनपुर, अहमदबाद, ओक्टोबर २०१२

Downloads

Published

23-02-2023

Issue

Section

Articles

How to Cite

गुजरात का गौरव : देवनी मोरी. (2023). VIDYA - A JOURNAL OF GUJARAT UNIVERSITY, 2(1), 82-83. https://doi.org/10.47413/vidya.v2i1.136