सामाजिक परिवर्तन और प्रगतिवादी सोच की धनी सावित्रीबाई फुले
DOI:
https://doi.org/10.47413/vidya.v3i2.426Keywords:
क्रांतिज्योति, महाकारुणिक, गुलामी, प्रतिबद्धता, प्रगतिवादी, सुसंस्कारित, सम्यक मार्ग, अज्ञान, अविद्या, शूद्र-अतिशूद्रAbstract
आधुनिक भारत का इतिहास सामाजिक क्रांतिकारी महामना जोतिबा फुले और क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले के बिना अधूरा ही नहीं अपूर्ण भी है I फुले दंपति ने अपने काल में सामाजिक परिवर्तन के लिए युग परिवर्तनकारी महान कार्य किए थे I उनके त्याग और बलिदान ने वंचितो और शोषितों को नया जीवन दिया था और उनमें ऊपर उठने का जजबा जगाया था I महाकारुणिक बुद्ध के बाद उन्नीसवी सदी में फुले दंपति ने समाज के दबे-कुचले और पिछड़े तबकों के लोगों के लिए काफी सराहनीय कार्य किए और उनको मानवीय अधिकार दिलाने के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया था I अकसर कहा जाता आया है कि एक सफल पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है जिसमें स्त्री की भूमिका को कम ही आँकी गई है I पर वास्तव में सावित्रीबाई के जीवन से यह स्पष्ट हो जाता है की एक स्त्री पुरुष के पीछे नहीं बल्कि जब कंधे कंधे मिलाकर काम करती है तब इतिहास बदल जाता है और नए युग का निर्माण होता है I सावित्रीबाई फुले और जोतिबा फुले की शीलवान और चरित्रवान जोड़ी ने युगों का इतिहास बदल दिया और मानवीय अधिकारों को प्रस्थापित कर नए युग की नींव मजबूती से स्थापित की I
References
बौद्ध, शांति स्वरूप, क्रांतिबाई सावित्रीबाई फुले की अमर कहानी, सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली, २०१६
रजनी तिलक, भारत की पहली शिक्षिका सावित्री माई फुले, बुक्स इंडिया, दिल्ली, २०११
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