नक्की झील : गरासिया हरिद्वार

Authors

  • Ashok Kumar
  • Dr. Arun Vaghela

DOI:

https://doi.org/10.47413/vidya.v2i1.174

Keywords:

गरासिया, नक्की झील, आबू पर्वत, पितृ तर्पण, पितृ ऋण, हरिद्वार, श्राद्ध, जनजाति, झूमरा नृत्य, वालर

Abstract

हमारा देश भारत सांस्कृतिक विविधताओं एवं विशेषताओं का देश है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में रंग बिरंगी सभ्यता एवं संस्कृति की विशिष्टता का दर्शन होता है। यहां का प्रत्येक स्थान स्वंय की विशिष्ट संस्कृति, तीज त्यौहार एवं रीति-रिवाजों तथा परंपरा आदि को लेकर अपनी एक अलग ही पहचान रखते हैं। ऐसे ही राजस्थान राज्य भी अपनी सांस्कृतिक विविधता एवं विशेषताओं की मंत्रमुग्ध तथा जिज्ञासा उत्पन्न करने वाली इंद्रधनुषी छटा चारों ओर बिखरता है। राजस्थान राज्य का माउंट आबू क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य के साथ कई प्रकार की संस्कृतिक विविधताओं एवं परंपराओं को संजोए हुए हैं। इनमें से एक सांस्कृतिक परंपरा इस क्षेत्र की सर्व प्रमुख जनजाति गरासिया की पित्र तर्पण परंपरा है। माउंट आबू स्थित पौराणिक झील नक्की को गरासिया हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। राजस्थान क्षेत्र की गरासिया जनजाति के लोग पीपली पूनम के दिन आबू पर्वत स्थित इस झील में अपने पूर्वजों की अस्थियां प्रवाहित करने आते हैं जिसमें इनकी सांस्कृति, धार्मिक विश्वास तथा आस्था के जीवंत दर्शन के साथ आम जीवन से जुड़ी हुई परंपराएं देखने को मिलती है। यहां पितृ ऋण से जुड़े दो महत्वपूर्ण पक्ष देखने को मिलते हैं- पितृ तर्पण एवं गृहस्थ जीवन में प्रवेश।

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प्रत्यक्ष मुलाकात एवं साक्षात्कार-

कानाराम पुत्र गुलाजी अंगारी गरासिया, गांव करजिया, तहसील रेवदर जिला सिरोही, राजस्थान

गंगाराम गरासिया, नाड़ी फली, गांव थंडीबेरी, जिला सिरोही

समाराम गरासिया, विधायक, आबू पिंडवाड़ा विधानसभा क्षेत्र

समाचार पत्र-पत्रिकाएं-

सिरोही दैनिक भास्कर पाली संस्करण, दिनांक 17 मई 2022

सिरोही दैनिक भास्कर, 27 अप्रैल 2022

सिरोही दैनिक भास्कर पाली संस्करण, दिनांक 26 अप्रैल 2022

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Published

26-05-2023

Issue

Section

Articles

How to Cite

नक्की झील : गरासिया हरिद्वार. (2023). VIDYA - A JOURNAL OF GUJARAT UNIVERSITY, 2(1), 224-229. https://doi.org/10.47413/vidya.v2i1.174